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पूर्व मुख्यमंत्री हत्याकांड मामले में दोषी बलवंत सिंह की दया याचिका पर पंजाब सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब

क्या है आगे की प्रक्रिया ?
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए बब्बर खालसा सदस्य बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सजा पर अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। करीब 29 साल पुरानी इस घटना में बलवंत सिंह राजोआना को 1995 में हुई बम विस्फोट के लिए दोषी ठहराया गया था, जिसमें मुख्यमंत्री बेअंत सिंह सहित 16 लोग मारे गए थे।

न्यायमूर्ति बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का और समय प्रदान किया। राजोआना के वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि याचिकाकर्ता पिछले 29 वर्षों से जेल में हैं और उन्हें कभी जेल से बाहर आने का मौका नहीं मिला। उन्होंने अदालत से आग्रह किया कि इस लंबी हिरासत को देखते हुए राजोआना को कुछ समय के लिए बाहर जाने की अनुमति दी जाए।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस आग्रह को ठुकराते हुए कहा कि इस स्तर पर किसी भी प्रकार की अंतरिम राहत नहीं दी जा सकती है। पीठ ने पंजाब सरकार के वकील से पूछा कि क्या उन्होंने इस मामले में अपना जवाब दाखिल किया है, जिस पर वकील ने समय की मांग की। अब यह मामला 18 नवंबर को फिर से सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

दया याचिका में देरी और अनुच्छेद 21 का उल्लंघन:
राजोआना की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने यह भी दलील दी कि उनकी दया याचिका पिछले 12 वर्षों से लंबित है, जो संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है। वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने केंद्र की ओर से अंतरिम राहत का विरोध किया और कहा कि उन्हें इस मामले में सरकार से निर्देश लेने की आवश्यकता है।
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर में इस मामले में केंद्र को नोटिस जारी किया था। अदालत ने 3 मई 2023 को राजोआना की दया याचिका में 10 साल से अधिक की देरी के बावजूद मौत की सजा कम करने की याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि इस प्रकार के संवेदनशील मामलों में निर्णय लेने का अधिकार कार्यपालिका के पास है।
घटना का संक्षिप्त विवरण:
31 अगस्त 1995 को पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह सहित 16 लोगों की एक बम विस्फोट में मौत हो गई थी। इस हमले में कई अन्य लोग भी घायल हुए थे। इस घटना के बाद 27 जनवरी 1 1996 को बलवंत सिंह राजोआना को गिरफ्तार किया गया। 27 जुलाई 2007 को जिला अदालत ने राजोआना और अन्य सह-आरोपियों को दोषी ठहराया। राजोआना और जगतार सिंह हवारा को मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन 10 दिसंबर 2010 को उच्च न्यायालय ने हवारा की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया, जबकि राजोआना की सजा बरकरार रखी।
क्या है आगे की प्रक्रिया?
अब यह मामला 18 नवंबर को पुनः सुनवाई के लिए आएगा, जहां पंजाब सरकार अपना जवाब दाखिल करेगी। अदालत का निर्णय राजोआना की सजा के साथ ही दया याचिका में विलंब के मुद्दे पर भी प्रभाव डाल सकता है।
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अक्षय तृतीया की पूर्व संध्या पर “प्रारब्ध” का भव्य विमोचन, ज्योतिष और आध्यात्मिक चेतना का अनूठा संगम

वाराणसी । संदीप शर्मा फाउंडेशन द्वारा अक्षय तृतीया की पूर्व संध्या पर एक भव्य मीडिया विमोचन समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें सुप्रसिद्ध एस्ट्रोवास्तु आचार्या प्रीति सहगल द्वारा रचित पुस्तक “प्रारब्ध” का औपचारिक अनावरण हुआ।
यह आयोजन न केवल एक पुस्तक विमोचन था, बल्कि अक्षय तृतीया जैसे आध्यात्मिक पर्व के उत्सव का प्रतीक भी बना, जिसे शुभारंभ, सिद्धि और समृद्धि का पर्व माना जाता है। प्रारब्ध में वर्ष 2025 के प्रमुख ग्रह-गोचरों जैसे बृहस्पति का मिथुन में, शनि का मीन में, राहु का कुम्भ में तथा केतु का सिंह राशि में गोचर—इन सभी खगोलीय परिवर्तनों का प्रभाव व्यक्ति, समाज और वैश्विक चेतना पर गहराई से विश्लेषित किया गया है।
समारोह में ईज़ी दर्शन की सीईओ और ईज माय ट्रिप (दिल्ली) की प्रेसिडेंट प्रीति सत्यनारायण ने पुस्तक का औपचारिक विमोचन किया। उनके साथ मंच पर टेम्पल टूर्स (वाराणसी) की संस्थापक दर्शना शास्त्री विशेष अतिथि रहीं। इस अवसर पर प्रिंट और डिजिटल मीडिया के अनेक प्रतिनिधियों ने भी अपनी गरिमामयी उपस्थिति दर्ज कराई।
पुस्तक की लेखिका आचार्या प्रीति सहगल ने कहा, “प्रारब्ध ब्रह्मांडीय लय और ज्योतिषीय परिवर्तन को जीवन के व्यवहारिक पक्ष से जोड़ती है। यह उन साधकों के लिए एक पथदर्शक है, जो आत्मिक उन्नयन की ओर अग्रसर हैं।”
इस अवसर पर फाउंडेशन के संस्थापक संदीप शर्मा ने “प्रारब्ध” को केवल एक ज्योतिषीय ग्रंथ न मानते हुए, इसे “मानव चेतना का जीवंत मानचित्र” बताया। उन्होंने कहा कि “यह पुस्तक 2025 जैसे संक्रमणशील समय में आत्म-चिंतन, संतुलन और कर्म की गहन समझ के लिए एक प्रेरणास्रोत बन सकती है।”
अंत में फाउंडेशन द्वारा सभी अतिथियों और मीडिया प्रतिनिधियों का आभार प्रकट करते हुए उन्हें “यो सेतु, जिनके माध्यम से पवित्र ज्ञान सामूहिक चेतना तक पहुंचता है” कहकर सम्मानित किया गया।
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सुरक्षा और व्यवस्था का जायजा लेने पहुंचे पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल, सामूहिक विवाह कार्यक्रम स्थल का किया निरीक्षण

वाराणसी । पुलिस आयुक्त कमिश्नरेट वाराणसी श्री मोहित अग्रवाल ने मंगलवार को शंकुलधारा, थाना भेलूपुर क्षेत्र स्थित सामूहिक विवाह कार्यक्रम स्थल का दौरा कर सुरक्षा और यातायात व्यवस्था का निरीक्षण किया। उन्होंने कार्यक्रम में शामिल होने वाले विशिष्ट अतिथियों, आगंतुकों और आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु कई दिशा-निर्देश जारी किए।
निरीक्षण के दौरान पुलिस आयुक्त ने आयोजन समिति से संवाद कर बैठने की व्यवस्था, बैरिकेडिंग, प्रवेश और निकास मार्ग सहित वीआईपी और आमजन की पार्किंग व्यवस्था की जानकारी ली। उन्होंने निर्देश दिया कि वीआईपी और आम नागरिकों के वाहनों के लिए अलग-अलग पार्किंग स्थल सुनिश्चित किए जाएं ताकि यातायात सुगम बना रहे।
पुलिस आयुक्त ने कार्यक्रम स्थल की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सादे वस्त्रों में पुलिसकर्मियों की तैनाती, महिला पुलिस बल की पर्याप्त व्यवस्था, फायर ब्रिगेड के जवानों व अग्निशमन यंत्रों की तैनाती और शंकुलधारा तालाब के पास जल पुलिस व गोताखोरों की मौजूदगी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
इसके साथ ही ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों को आम जनता के साथ विनम्र और सहयोगात्मक व्यवहार बनाए रखने की भी हिदायत दी गई।
इस मौके पर अपर पुलिस उपायुक्त (कानून-व्यवस्था) एस. चन्नप्पा, पुलिस उपायुक्त काशी जोन गौरव वंशवाल, अपर पुलिस उपायुक्त श्री सरवणन टी., अपर पुलिस उपायुक्त (यातायात) राजेश पाण्डेय सहित अन्य अधिकारी और थाना प्रभारी उपस्थित रहे।
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अशोक कुमार सिंह बने चांदमारी चौकी इंचार्ज

वरुणा जोन के 11 दरोगा समेत 30 पुलिसकर्मियों का हुआ स्थानांतरण
वाराणसी। वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट के वरुणा जोन में रिक्तियों और प्रशासनिक समायोजन के तहत एक बड़ा फेरबदल किया गया है। इस क्रम में उप निरीक्षकों (एसआई) और आरक्षियों समेत कुल 30 पुलिसकर्मियों का विभिन्न थानों और चौकियों पर स्थानांतरण किया गया है।
इस फेरबदल में एसआई अशोक कुमार सिंह को शिवपुर थाने की चांदमारी चौकी का इंचार्ज बनाया गया है, जबकि धर्मेंद्र राजपूत को रोहनिया थाने के अंतर्गत मोहनसराय चौकी की जिम्मेदारी दी गई है। चौबेपुर थाने में तैनात एसआई अमित सिंह को कैंट थाने की फुलवरिया चौकी और सारनाथ थाने के एसआई महेश मिश्रा को लालपुर-पांडेयपुर थाने की पहड़िया चौकी का प्रभारी नियुक्त किया गया है।
मोहनसराय चौकी के पूर्व प्रभारी मोहम्मद सूफियान खां को लालपुर थाना भेजा गया है। वहीं एसआई देवेंद्र कुमार दुबे और जगदम्बा प्रसाद यादव को भी लालपुर थाने पर नई तैनाती दी गई है।
महिला एसआई प्रमिला यादव को मंडुवाडीह थाने, एसआई रोहित सिंह यादव और उमेश कुमार राय को लालपुर-पांडेयपुर थाने पर भेजा गया है। एसआई कौशल कुमार सिंह को कैंट थाने पर तैनात किया गया है।
मुख्य आरक्षियों की बात करें तो कृष्ण बहादुर सिंह और सोमनाथ भारती को कैंट थाने, सत्य प्रकाश तिवारी को चौबेपुर, संदीप कुमार यादव को चोलापुर, सुनील चंद्र यादव को लालपुर-पांडेयपुर थाने पर तैनाती मिली है।
इसके अतिरिक्त आरक्षी प्रदीप कुमार को पुलिस उपायुक्त, वरुणा जोन कार्यालय में, रविशंकर भारती और दीपक कुमार मौर्य को सारनाथ, सुनील कुमार शुक्ल को लोहता, राहुल चौहान को मंडुवाडीह, अरुण को चौबेपुर, नागेंद्र कुमार गुप्ता और अतुल कुशवाहा को रोहनिया थाने पर नियुक्त किया गया है।
महिला मुख्य आरक्षी सीमा सिंह को शिवपुर और रीमा भारती को लालपुर-पांडेयपुर थाने भेजा गया है। वहीं, कैंट थाने के आरक्षी विकास गोंड को पुलिस उपायुक्त कार्यालय, वरुणा जोन और प्रदीप कुमार को सहायक पुलिस आयुक्त कार्यालय, वरुणा जोन में नियुक्त किया गया है। इसके साथ ही शश्वत शक्ला (कैंट थाना) और आशुतोष सिंह (रोहनिया थाना) को लालपुर-पांडेयपुर थाने पर तैनात किया गया है
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