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29वीं उत्तर प्रदेश राज्य कैरम चैंपियनशिप का प्रयागराज में दूसरा दिन सफलतापूर्वक संपन्न

वाराणसी । ठाकुर हरनारायण सिंह ग्रुप ऑफ कॉलेज के खेल कक्ष में आयोजित 29वीं उत्तर प्रदेश राज्य कैरम चैंपियनशिप के दूसरे दिन का आयोजन उत्साहपूर्वक संपन्न हुआ। लीग मैचों में शानदार प्रदर्शन करते हुए प्रदेश के 18 जनपदों से आए कुल 56 पुरुष खिलाड़ियों ने नॉकआउट चरण के लिए क्वालीफाई किया।
कानपुर के सर्वाधिक 6 खिलाड़ी नॉकआउट में पहुंचे, वहीं मेजबान प्रयागराज (इलाहाबाद) के 5 खिलाड़ियों ने भी जगह बनाई। इसके अलावा कानपुर देहात और लखनऊ से 4-4, मोरादाबाद और मऊ से 3-3, वाराणसी, आगरा, प्रतापगढ़ और मेरठ से 2-2 तथा अन्य सात जिलों से 1-1 खिलाड़ी नॉकआउट में पहुंचे हैं। प्रदेश के शीर्ष खिलाड़ी आरिफ समेत सभी प्रमुख नामों ने भी अगले दौर में जगह बना ली है।
चैंपियनशिप का संचालन उत्तर प्रदेश कैरम एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री बैजनाथ सिंह, सचिव श्री जहीर अहमद, आयोजन समिति के अध्यक्ष श्री दिनेश गुप्ता तथा चैंपियनशिप सचिव एडवोकेट सिराजुद्दीन के नेतृत्व में हुआ। मुख्य निर्णायक की भूमिका सरदार रणवीर सिंह ने निभाई, जबकि सहायक प्रधान निर्णायक रमेश वर्मा एवं दो दर्जन से अधिक स्थानीय अंपायरों ने निर्णायक मंडल की जिम्मेदारी संभाली।
समाचार लिखे जाने तक पुरुष एवं महिला वर्ग के मुकाबले जारी थे और खेल परिसर में उत्साह का माहौल बना हुआ था।
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गंगा द्वार पर चला स्वच्छता अभियान

वाराणसी । विश्व धरोहर दिवस और गुड फ्राइडे के अवसर पर नमामि गंगे ने श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के गंगा द्वार पर स्वच्छता अभियान चलाया।
अभियान में अमेरिका और स्पेन से आए यीशु मसीह के अनुयायियों सहित देश-विदेश के पर्यटक शामिल हुए। नगर निगम के ब्रांड एंबेसडर राजेश शुक्ला के नेतृत्व में गंगा तट की सफाई की गई। सभी ने ‘हर हर गंगे’ और ‘स्वच्छता’ के संदेश के साथ जनभागीदारी की प्रेरणा दी।
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बरेका में ‘विश्व धरोहर दिवस’ पर आत्मनिर्भरता और सांस्कृतिक गौरव की अद्भुत झलक

वाराणसी । बनारस रेल इंजन कारखाना (बरेका) में ‘विश्व धरोहर दिवस’ के अवसर पर आयोजित भव्य प्रदर्शनी ने तकनीकी नवाचार, ऐतिहासिक विरासत और आत्मनिर्भरता की प्रेरक मिसाल पेश की। इस वर्ष की थीम “आपदा एवं संघर्ष प्रतिरोधी विरासत – विरासत की सुरक्षा हेतु कार्रवाई” के अनुरूप, प्रदर्शनी ने बरेका के गौरवशाली इतिहास और तकनीकी उत्कृष्टता को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया।

इस ऐतिहासिक आयोजन का उद्घाटन बरेका के महाप्रबंधक श्री नरेश पाल सिंह ने फीता काटकर किया। उनके साथ प्रमुख मुख्य यांत्रिक इंजीनियर श्री विवेक शील एवं सहायक डिजाइन इंजीनियर/बोगी श्री राजेश कुमार शुक्ला भी उपस्थित रहे। महाप्रबंधक श्री सिंह ने इस अवसर पर कहा, “बरेका केवल एक उत्पादन इकाई नहीं, बल्कि भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता और वैश्विक पहचान का गौरवशाली प्रतीक है। यह प्रदर्शनी अतीत की प्रेरणा और भविष्य की दिशा दोनों प्रदान करती है।
प्रदर्शनी की मुख्य विशेषताएं:
इंजन विकास की यात्रा: 1964 में निर्मित पहले स्वदेशी इंजन ‘कुंदन’ से लेकर अत्याधुनिक डब्ल्यूएपी-7 तक के मॉडल्स ने बरेका की तकनीकी प्रगति की कहानी बयां की।
तकनीकी मॉडल्स की श्रृंखला: डब्ल्यूडीएम-2, डब्ल्यूडीजी-4डी, डब्ल्यूडीपी-4डी जैसे इंजनों के तकनीकी विवरण और प्रतिरूप दर्शकों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बने।
अंतरराष्ट्रीय निर्यात खंड: वियतनाम, बांग्लादेश, म्यांमार और मलेशिया को निर्यात किए गए इंजनों की प्रदर्शनी ने भारत की वैश्विक तकनीकी पहचान को दर्शाया।
विरासत इंजन ‘मिस मफेट’: 1935 में निर्मित यह ब्रिटिश कालीन इंजन तकनीकी इतिहास और सांस्कृतिक विरासत का अद्वितीय प्रतीक बनकर प्रदर्शनी का प्रमुख आकर्षण रहा।
लिविंग म्यूज़ियम का अनुभव: रंग-बिरंगे इंजन, डिजिटल डिस्प्ले, फोटो गैलरी और आकर्षक साज-सज्जा के साथ पूरा परिसर एक जीवंत संग्रहालय में तब्दील हो गया।
प्रदर्शनी में बच्चों से लेकर वरिष्ठ नागरिकों तक ने भाग लिया और बरेका की उपलब्धियों को करीब से देखा। यह आयोजन न केवल तकनीकी उन्नति का उत्सव था, बल्कि नई पीढ़ी को सांस्कृतिक विरासत और आत्मनिर्भरता के मूल्यों से जोड़ने का एक सफल प्रयास भी रहा।
इस अवसर पर बरेका के प्रमुख अधिकारीगण – प्रमुख मुख्य यांत्रिक इंजीनियर श्री विवेक शील, प्रमुख मुख्य सामग्री प्रबंधक श्री आलोक अग्रवाल, मुख्य यांत्रिक इंजीनियर/सेवा श्री नीरज जैन, मुख्य यांत्रिक इंजीनियर/उत्पादन एवं विपणन श्री सुनील कुमार, मुख्य अभिकल्प इंजीनियर/डीजल श्री प्रवीण कुमार, मुख्य गुणवत्ता आश्वासन प्रबंधक श्री राम जन्म चौबे, मुख्य सामग्री प्रबंधक/लोको श्री अमित वर्मा, मुख्य संरक्षा अधिकारी श्री एस. बी. पटेल, जनसंपर्क अधिकारी श्री राजेश कुमार, कर्मचारी परिषद सदस्य श्री संतोष कुमार यादव तथा विभिन्न विभागों के अधिकारी, कर्मचारी एवं बड़ी संख्या में दर्शक उपस्थित रहे।
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विश्व विरासत दिवस की पूर्व संध्या पर श्री अग्रसेन कन्या पी.जी. कॉलेज में गोष्ठी संपन्न

प्रो. दुष्यंत सिंह बोले – “अपनी मूर्त और अमूर्त विरासत का संरक्षण हर भारतीय का कर्तव्य”
वाराणसी । विश्व विरासत दिवस की पूर्व संध्या पर श्री अग्रसेन कन्या पी.जी. कॉलेज, वाराणसी में एक विचारगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम हेरीटेज क्लब एवं प्राचीन भारतीय इतिहास, पुरातत्व एवं संस्कृति विभाग के संयुक्त तत्वावधान में संपन्न हुआ।

गोष्ठी की विषय स्थापना करते हुए डॉ. मनीषा ने बताया कि विश्व विरासत दिवस मनाने की शुरुआत इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ मॉन्यूमेंट्स एंड साइट्स द्वारा वर्ष 1982 में की गई थी, जिसे यूनेस्को ने 1983 में मान्यता दी। इस वर्ष की थीम “आपदा तथा संघर्ष प्रतिरोधी विरासत” रही, जिस पर छात्राओं को जानकारी दी गई।
गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे विभागाध्यक्ष प्रो. दुष्यंत सिंह ने कहा कि विरासत दो प्रकार की होती है – मूर्त और अमूर्त। मूर्त विरासत में स्मारक व प्राकृतिक स्थल आते हैं, जबकि अमूर्त विरासत में ज्ञान, परंपराएं, प्रथाएं और कौशल शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इन दोनों प्रकार की विरासतों का संरक्षण करना हम सभी भारतीयों का नैतिक दायित्व है।
हेरीटेज क्लब की समन्वयक डॉ. सरला सिंह ने अपने वक्तव्य में सारनाथ, खजुराहो, अजंता-एलोरा, ताजमहल, काजीरंगा व मानस अभयारण्य जैसे स्थलों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन सांस्कृतिक व प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण के लिए संविधान के अनुच्छेद 48ए व 49 में स्पष्ट निर्देश हैं।
डॉ. अंजना सिंह ने भारत को विश्व विरासत स्थलों की दृष्टि से समृद्ध राष्ट्र बताया और जानकारी दी कि भारत के 40 से अधिक स्थलों को यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत का दर्जा प्राप्त है। वहीं डॉ. कंचनमाला यादव ने अमूर्त सांस्कृतिक विरासत पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह विरासत परंपराओं, ज्ञान व कौशलों का वह जीवंत संकलन है, जो पीढ़ी दर पीढ़ी प्रवाहित होता रहा है।
कार्यक्रम का समापन करते हुए डॉ. नंदिनी पटेल ने कहा कि विरासत अतीत और वर्तमान को जोड़ने वाली वह कड़ी है, जिसके आधार पर हम एक सशक्त भविष्य की नींव रखते हैं। इस अवसर पर कॉलेज की अनेक प्रवक्ताएं व छात्राएं उपस्थित रहीं।
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