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शैक्षणिक योग्यता की भी हो जनगणना: शशि प्रताप सिंह

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वाराणसी। नेशनल इक्वल पार्टी के संयोजक शशि प्रताप सिंह ने केंद्र सरकार से जातीय जनगणना के साथ-साथ जातिवार शैक्षणिक योग्यता की जनगणना कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इससे यह स्पष्ट होगा कि किस जाति में कितने लोग शिक्षित और अशिक्षित हैं, जिससे सरकार उस समुदाय की शिक्षा पर विशेष ध्यान दे सके।

उन्होंने डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों का हवाला देते हुए कहा कि शिक्षा शेरनी का दूध है, जो पिएगा वही दहाड़ेगा। जातीय जनगणना सामाजिक समरसता को बढ़ावा देगी और जातिवार साक्षरता आंकड़ों से समाज में शिक्षा की प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिससे बेरोजगारी में भी कमी आएगी।

शशि प्रताप सिंह ने जोर देकर कहा कि यह मांग पार्टी की प्राथमिकताओं में वर्षों से शामिल रही है और अब सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए।

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उत्तर प्रदेश बना VPD सर्विलांस शुरू करने वाला देश का पहला राज्य

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वाराणसी में हुआ पहले केस का पंजीकरण

वाराणसी । उत्तर प्रदेश ने देश में पहला राज्य बनकर एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। राज्य सरकार ने आज से वैक्सीन-प्रिवेन्टेबल डिजीज़ेज़ (VPDs) की रीयल टाइम डिजिटल निगरानी की शुरुआत कर दी है। यह निगरानी यूनीफाइड डिजीज सर्विलांस पोर्टल (यूडीएसपी) के माध्यम से की जाएगी, जो राज्य का स्वामित्व वाला एक उन्नत डिजिटल प्लेटफॉर्म है।

इस पहल के तहत पोलियो, खसरा, रूबेला, डिप्थीरिया, पर्टूसिस और टिटनेस जैसी छह टीकाकरण से रोकी जा सकने वाली बीमारियों की केस-बेस्ड सर्विलांस अब यूडीएसपी पोर्टल के माध्यम से की जाएगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य सहयोग नेटवर्क (NPSN) के सहयोग से यह पहल यूआईपी के अंतर्गत संचालित हो रही है।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी ने कहा, “यूडीएसपी पोर्टल के माध्यम से जिलों और राज्य के बीच तेज़ संचार संभव हो सकेगा। यह हमें समय पर, सटीक डेटा प्रदान करेगा जिससे टीकाकरण कवरेज, योजना और प्रतिक्रिया की गुणवत्ता में सुधार होगा। साथ ही नागरिकों को अपनी लैब रिपोर्ट ऑनलाइन मिलने की सुविधा भी होगी, जैसे कोविड के समय दी गई थी।”

इस डिजिटल निगरानी की शुरुआत का पहला केस सर सुंदरलाल चिकित्सालय, आईएमएस बीएचयू की ओपीडी में पंजीकृत किया गया, जो वाराणसी जिले के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. एस.एस. कनौजिया ने बताया कि “विश्व टीकाकरण सप्ताह (24 अप्रैल से प्रारंभ) के अंतर्गत पूरे प्रदेश में स्कूल-आधारित टीडी टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। सरकारी और निजी स्कूलों में कक्षा 5 और 10 के छात्रों को मुफ्त टीडी टीके लगाए जा रहे हैं।”

गौरतलब है कि मई 2023 में शुरू हुए यूडीएसपी पोर्टल को शुरुआत में 12 अधिसूचित बीमारियों के लिए लॉन्च किया गया था। यह प्लेटफ़ॉर्म आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) अनुरूप है और इसे राष्ट्रीय पोर्टलों से सफलतापूर्वक जोड़ा गया है, जिससे केंद्र सरकार के साथ डेटा साझा करना आसान हो गया है।

उत्तर प्रदेश की यह पहल न केवल एक तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि यह राज्य की जनस्वास्थ्य प्रणाली को और अधिक मजबूत और उत्तरदायी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

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बिजली निजीकरण के विरोध में बिजलीकर्मियों ने निकाली विशाल बाइक रैली

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शक्ति भवन पर सात दिवसीय क्रमिक अनशन का ऐलान

वाराणसी । उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के विरोध में आंदोलन तेज़ होता जा रहा है। इसी क्रम में आज विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के नेतृत्व में वाराणसी में हज़ारों बिजलीकर्मियों ने विशाल बाइक रैली निकाली। रैली भारत माता मंदिर से शुरू होकर विभिन्न मार्गों से होते हुए संपन्न हुई। इसमें अवर अभियंता, जूनियर इंजीनियर सहित कई संगठनों के बिजलीकर्मी बड़ी संख्या में शामिल हुए।

भारत माता मंदिर पर सभी बिजलीकर्मियों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में शहीद हुए पर्यटकों को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की।

बिजलीकर्मियों ने बाइक रैली के माध्यम से उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से जनहित में बिजली के निजीकरण को निरस्त करने की मांग की। साथ ही संविदा कर्मियों को हटाने के आदेश को वापस लेने का भी आह्वान किया। संघर्ष समिति ने कहा कि अल्पवेतन पर कार्य कर रहे संविदा कर्मचारी, जिनमें कई अपंग भी हैं, को हटाना अमानवीय कदम है।

संघर्ष समिति ने ऐलान किया कि 2 मई से राजधानी लखनऊ स्थित शक्ति भवन पर सात दिन तक क्रमिक अनशन किया जाएगा। इस अनशन में 2 मई को केंद्रीय पदाधिकारी और आम बिजलीकर्मी, 3 मई को केस्को व कानपुर क्षेत्र, 4 मई को दक्षिणांचल, 5 मई को पूर्वांचल, 6 मई को परियोजनाएं, 7 मई को मध्यांचल और 8 मई को पश्चिमांचल के बिजलीकर्मी भाग लेंगे। लखनऊ के कर्मी रोज़ अनशन पर रहेंगे, जबकि अन्य प्रदेशों के बिजलीकर्मी भी समर्थन में जुड़ेंगे।

संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि पावर कॉर्पोरेशन और विद्युत नियामक आयोग ने आंदोलनरत समिति से संवाद करना तक उचित नहीं समझा, जबकि निजीकरण से जुड़े फर्जी आंकड़ों के आधार पर सलाहकार ग्रांट थॉर्टन से बैठकें की जा रही हैं। समिति ने याद दिलाया कि 2018 और 2020 में सरकार से हुए समझौतों में यह स्पष्ट किया गया था कि बिना कर्मचारियों की सहमति के निजीकरण नहीं होगा। वर्तमान में 42 जनपदों में वितरण का निजीकरण उन समझौतों का उल्लंघन है।

बाइक रैली का सफल संचालन इंजीनियर अविनाश कुमार, नरेंद्र वर्मा, मायाशंकर तिवारी, नीरज बिंद, प्रमोद कुमार, राजेन्द्र सिंह, वेदप्रकाश राय, संतोष वर्मा, रमाशंकर पाल, अंकुर पाण्डेय और प्रशांत कुमार के नेतृत्व में हुआ।

संघर्ष समिति ने सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है ताकि गर्मी के इस मौसम में बिजली व्यवस्था में टकराव की स्थिति से बचा जा सके।

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शिवपुर काशीराम आवास में बिजली चोरी का बड़ा खेल, लाइनमैन और SSO पर लगे गंभीर आरोप

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वाराणसी । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी को “भव्य काशी, दिव्य काशी” के रूप में विकसित करने के लिए सरकार की तमाम योजनाएं जारी हैं। स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत शहर को आधुनिक सुविधाओं से लैस करने का प्रयास हो रहा है। लेकिन इन प्रयासों को पलीता लगाता हुआ एक गंभीर मामला सामने आया है।

शिवपुर क्षेत्र स्थित काशीराम आवास (पुराना आवास) ब्लॉक नंबर 103 में बड़े पैमाने पर बिजली चोरी का खेल खुलेआम चल रहा है। स्थानीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, कोईलहवा पावर हाउस के लाइनमैन – विक्रम, आसिफ, ओमप्रकाश पटेल, दया – और सब स्टेशन ऑफिसर (SSO) रमेश कुमार पर आरोप है कि ये लोग ₹1000 से ₹1500 की घूस लेकर अवैध रूप से बिजली कनेक्शन जोड़ रहे हैं।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि खाना बनाने से लेकर फ्रिज, कूलर, हीटर और अन्य भारी उपकरणों का इस्तेमाल बेझिझक किया जा रहा है। लाइनमैन स्वयं लोगों को प्रोत्साहित करते हैं कि वे बिजली चोरी करें, और किसी कार्रवाई की चिंता न करें क्योंकि “सब कुछ उनके हाथ में है”।

जब इस पूरे मामले पर संबंधित अधिकारी (एसडीओ) मनीष कुमार राय से बात की गई तो स्थानीय लाइनमैनों का दावा था कि “यहां के एसडीओ और जेई तो हम ही हैं”। वहीं, जब SSO रमेश कुमार से फोन पर प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कहा कि वे फिलहाल तेरही में हैं और 2 तारीख को लौटकर देखेंगे, इसके बाद उन्होंने कॉल काट दिया।

इस पूरी गतिविधि से विभाग को हर महीने लाखों रुपए के राजस्व की हानि हो रही है। सवाल यह उठता है कि जब ऐसी गतिविधियां प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में धड़ल्ले से चल रही हों, तो अन्य क्षेत्रों की स्थिति का अंदाज़ा लगाना कठिन नहीं है।

अब देखना यह है कि बिजली विभाग और प्रशासन इस गम्भीर प्रकरण पर क्या कार्रवाई करता है। क्या भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मियों पर कोई सख्त कदम उठाया जाएगा, या यह खेल यूं ही चलता रहेगा?

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